• 05-05-2024 10:28:39
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खराब सड़कें राजनीतिक पार्टियों के लिए नहीं बन रहा मुद्दा, जनता भुगत रही लापरवाही का खामियाजा

सड़कें बनने से लेकर फीता काटने तक यह राजनीतिक पार्टियों के लिए चुनावी मुद्दा बना, लेकिन निर्माण के बाद गुणवत्ता की क्या स्थिति रही, यह झांकने कोई नहीं आया और यही परेशानी जनता के लिए बड़ा अब जनहित का मुद्दा बनते जा रहा है।

 बिजली, पानी, सड़कों के मुद्दे पर राजनीतिक पार्टियों ने खूब राजनीति चमकाई। कई चुनाव जीते और हारे। सड़कें बनने से लेकर फीता काटने तक यह राजनीतिक पार्टियों के लिए चुनावी मुद्दा बना, लेकिन निर्माण के बाद गुणवत्ता की क्या स्थिति रही, यह झांकने कोई नहीं आया और यही परेशानी जनता के लिए बड़ा अब जनहित का मुद्दा बनते जा रहा है। प्रदेश में 35 हजार किलोमीटर से अधिक लंबी सड़क है, लेकिन इन सड़कों की जमीनी हकीकत पर गौर करें तो अरबों रुपये की लागत से बनी इन सड़कों की हालत काफी खराब होने लगी है। सिर्फ रायपुर ही नहीं बल्कि दुर्ग, बिलासपुर, धमतरी, रायगढ़, कोरबा, अंबिकापुर, जगदलपुर जिलों में भी कमोबेश यही स्थिति है। सड़कों में गड्ढे और ब्लैक स्पाट दुर्घटना का कारण बनते जा रहा हैं।

छत्तीसगढ़ देश के उन चुनिंदा प्रदेशों में शामिल हैं, जहां खराब सड़कों की वजह से सबसे ज्यादा सड़क दुर्घटनाएं हो रही है। हाल ही में एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने प्रदेश की सड़कों पर संज्ञान लेते हुए यह कहा है कि यह दुख की बात है कि खराब सड़कों से होने वाली दुर्घटनाओं को हम रोक नहीं पा रहे हैं। राज्य शासन को तुरंत सभी गड्ढे भरने चाहिए ताकि भविष्य में दुर्घटनाओं को रोका जा सके। आचार संहिता के बीच में रायपुर स्थित नेशनल हाइवे में धनेली के पास से विधानसभा मार्ग की खराब सड़क की तत्काल मरम्मत कराने के लिए टेंडर जारी करने का आदेश भी हाइकोर्ट ने दिया है।

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दुर्ग |56 करोड़ की सड़क में एक वर्ष में ही गड्ढे

लोक निर्माण विभाग ने पुलगांव से अंजोरा तक 56 करोड़ 39 लाख रुपये की लागत से करीब 6.50 किमी लंबी फोरलेन सड़क का निर्माण कराया है। निर्माण के दौरान ही इसकी गुणवत्ता को लेकर क्षेत्र के रहवासियों ने शिकायत की थी। । लोगों ने इस मामले को लेकर आंदोलन भी किया था। करीब सवा साल पहले बनकर तैयार हुई इस सड़क में जगह-जगह गड्डे हो गए थे, जिस पर पेंच वर्क किया गया है। इसी तरह फोरलेन पर कोसा नगर टोल प्लाजा के सामने भी सालभर पहले बनाई गई सड़क कई जगह से उखड़ गई है।

सरगुजा: दो राज्यों को जोड़ने वाली राष्ट्रीय राजमार्ग की हालत खस्ता

छत्तीसगढ़ से झारखंड को जोड़ने वाली अंबिकापुर- रामानुजगंज राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक-343 के चौड़ीकरण और उन्नयन के लिए दो वर्ष पहले लगभग 400 करोड़ रुपये की स्वीकृति दी गई है । फारेस्ट क्लीयरेंस नहीं हो पाने के कारण यह काम आज तक आरंभ नहीं हो सका है। वर्तमान में यह सड़क पूरी तरह से उखड़ चुकी है। कटनी- गुमला राष्ट्रीय राजमार्ग को अंबिकापुर- रामानुजगंज राष्ट्रीय राजमार्ग से बाईपास के माध्यम से जोड़ने के लिए भी राशि स्वीकृत है, लेकिन यह काम भी आरंभ नहीं हो सका है।

रायपुर: भारत माला परियोजना: 400 किसानों को अब भी 55 करोड़ रुपये मुआवजे का इंतजार

भारत सरकार की भारत माला परियोजना के तहत रायपुर-विशाखापट्टनम कारिडोर एवं दुर्ग-रायपुर-आरंग कारिडोर से जिले में हजारों की संख्या में किसान प्रभावित हुए हैं। जिनकी भूमि अधिग्रहित की गई थी, पहले चरण में तकरीबन 200 करोड़ रुपये का मुआवजा तो बांट दिया गया है, लेकिन आरंग और अभनपुर क्षेत्र के पांच सौ से अधिक किसानों को 55 करोड़ रुपये की मुआवजा राशि बांटना शेष है। इसके पीछे तर्क है कि यह राशि अभी तक राष्ट्रीय राजमार्ग प्राधिकरण से जिला प्रशासन को मिल नहीं पाई है। दूसरे चरण में भी 12 से 13 गांव के किसानों के नाम सूची में शामिल हैं।

रायगढ़: 10 वर्ष बाद भी अधूरी सड़क

कटनी गुमला राष्ट्रीय राजमार्ग क्रमांक-43 का निर्माण बीते 10 साल में पूरा नहीं हो सका है। पत्थलगांव से जशपुर तक इस एनएच के चौड़ीकरण और नवीनीकरण के लिए केंद्र सरकार ने 14 सौ करोड़ रूपये की स्वीकृति दी थी। इस सड़क को लेकर जिले मे राजनीति होती रही है। वर्ष 2021 मे सड़क निर्माण कार्य पूरा करने को लेकर कांग्रेस ने तब मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय के बगिया स्थित निवास का घेराव किया था। इस सड़क ने उस समय भी जमकर सुर्खिया बटोरी थी, ज़ब पत्थलगांव के तत्कालीन विधायक और डा. रमन सिंह सरकार के तीसरे कार्यकाल के दौरान संसदीय सचिव रहे शिवशंकर पैंकरा का सरकारी वाहन, कीचड़ में फंस गया था।

मिलकर काम नहीं कर रही एजेंसियां

जर्जर सड़कों पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने कहा है कि शहरी क्षेत्र में निगम, पीडब्ल्यूडी और ठेका एजेंसी मिलकर काम नहीं कर रहीं हैं। बिना किसी प्लान के कई मार्गों का डामरीकरण प्रारंभ कर दिया जाता है। नई बनी सड़क को कभी सीवरेज पाइप लाइन तो कभी अमृत मिशन के नाम से खोद दिया जाता है। इसी तरह टेलीफोन केबल, नाला निर्माण के लिए फिर सड़कों को खोद दिया जाता है। अव्यवस्थित कार्यों से रुपयों की बर्बादी होती है और सड़कों की दुुर्दशा होती है। जिस कार्य के लिए सड़कों को खोदा जाता है, उसकी ठेका कंपनी को सड़क को दुरुस्त करने की जिम्मेदारी दी जाती है, लेकिन ऐसा नहीं होता। इसलिए नई सड़कों की हालत खराब हो गई है।

रोड ट्रैफिक एक्सपर्ट मनीष पिल्लेवार ने कहा, नई सड़कों के निर्माण के समय रोड इंजीनियरिंग का विशेष ध्यान रखना चाहिए। वर्तमान समय में ज्यादातर नई सड़कों के निर्माण में इसका ध्यान नहीं रखा जा रहा है, जिसकी वजह से दुर्घटनाएं बढ़ रही है। साथ ही विभागीय मानिटरिंग को बढ़ाना चाहिए।

छत्तीसगढ़ अंतर्विभागीय लीड एजेंसी (सड़क सुरक्षा) निदेशक संजय शर्मा ने कहा, सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए जन जागरूकता, साथ ही अलग-अलग विभागों के माध्यम से ब्लैक स्पाट को सुधारना जरूरी है। प्रदेश में सड़क दुर्घटनाओं को रोकने के लिए प्रभावी कदम उठाएं जा रहे हैं।

प्रदेश कांग्रेस कमेटी प्रदेश महामंत्री सुबोध हरितवाल ने कहा, भाजपा की 15 साल की खराब सड़कों को हमने पांच वर्ष में सुधारा। प्रदेशभर में सड़कों का जाल बिछाया। सड़कों को खराब होने से बचाने के लिए वर्तमान सरकार को ध्यान देना चाहिए। ओवर लोडेड वाहन व मानिटरिंग के अभाव में भी सड़कों की हालत खराब हो रही है।

भाजपा प्रवक्ता केदार गुप्ता ने कहा, कांग्रेस के शासनकाल में कमीशन खोरी की वजह कोई काम ठीक से नहीं हुआ, जिसका परिणाम आज जनता को भुगतना पड़ रहा है। भ्रष्टाचार का आरोप कांग्रेस सरकार में मंत्री रहते जयसिंह अग्रवाल भी लगा चुके हैं।

राष्ट्रीय राजमार्ग-3,483

राज्यमार्ग-4,309

मुख्य जिला मार्ग- 11,382

अन्य जिला मार्ग एवं ग्रामीण मार्ग'6,309

कुल-35,485

मार्ग का प्रकार- दुर्घटना-मृतक-घायल

राष्ट्रीय राजमार्ग-4,115',885-3,400

राजकीय राजमार्ग-2,140',027-2,303

अन्य मार्ग-7,024-2,922-5,992

(नोट-आंकड़े 2024 फरवरी महीने में सड़क सुरक्षा समिति की बैठक के मुताबिक)

प्रदेश में ब्लैक स्पाट की संख्या

वर्ष-कुल चिन्हित ब्लैक स्पाट-पूर्ण-शेष

2019-279-263'6

2020'30'22-08

2021'14'08-06

2022'04-94'0

2023'18-57-61

 

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